बुधवार, 11 जनवरी 2012

छत्‍तीसगढ़ में स्‍वामी विवेकानंद

(स्‍वामी विवेकानंद की 150वीं जयंती के उपलक्ष्‍य में)

जब स्वामी विवेकानंद छत्तीसगढ़ आइन
हमर बबा पहरो के बात ये
तेला आज बताइन
जब स्वामी विवेकानंद छत्तीसगढ़ आइन...

1

सन अठारा सौ ससत्तर, के बात ये भइया
नागपुर रेलवे टेसन म, एक बालक उतरिन भइया
नरेन्द्र नांव के वो बालक ल, रइपुर आना रहय
साधन म बस आय बर जी, बइला गाड़ी रहय
नरेन्द्र होइन सवार, छोटकुन छकड़ा गाड़ी म
छन छन छन छन चलिस गाड़ी, रइपुर बर रवन मं
गाड़ी चढ़े नरेन्द्र पहाड़ी, बन ल देख मुसकाइन
जब स्वामी विवेकानंद छत्तीसगढ़ आइन...

2

नरेन्द्र संग गाड़ी मं बइठे, भुनेसरी दाई हा
बहिनी जोगेन्द्र बाला संग, महेन्द्र छोटे भाई हा
पन्द्रा दिन ले सरलग चल के, गाड़ी रइपुर पहुंचिस
रइपुर के बूढापारा मं, माई पिल्ला उतरिस
बूढ़ापारा के एक ठन घर मं, रहय उकील बिसनाथ
नरेन्द्र दत्त के पिता ऊही ये, सुनलव सबो सुजान
बिसनाथ दत्त खुस होइन, जम्मो परिवार ल पाइन
जब स्वामी विवेकानंद छत्तीसगढ़ आइन............

3

बिसनाथ दिन के बेरा ला, न्यायलय मं बितावय
संझा बेरा नरेन्द्र ल, घर मं रोज पढ़ावय
बूढ़ापारा के खोर गली मं, खेलय कुदय नरेन्द्र
बूढ़ा तरिया मं जाके संगी, डुबकी लगावय नरेन्द्र
बिमारी धर आय रहिसे, उहू बिमारी भग गे
सही बतावंव नरेन्द्र ल, छत्तीसगढ़ के पानी लग गे
अपन उमर के दू बछर ल, छत्तीसगढ़ मं बिताइन
जब स्वामी विवेकानंद छत्तीसगढ़ आइन..........

4

छत्तीसगढ़ म उपजिन-बाढि़न, बड़े-बडे़ रिसी ग्यानी,
उही मं एक स्वामी विवेकानंद, घलो हे जानिन
चउदा बछर मं आय रहिन, अब लागे सोला साल
हस्ट पुष्ट बलवान सरीर, अब दिखे गुलाबी गाल
स्वस्थ तन अउ स्वस्थ मन ले, योग अउ चिंतन करय
धीरे धीरे वोकर विद्वता, जघा-जघा म बगरय
नरेन्द्र बनिन विवेकानंद, दुनिया मं नाम कमाइन
जब स्वामी विवेकानंद छत्तीसगढ़ आइन..........




रचना, संगीत एवं स्‍वर - राकेश तिवारी

स्‍वामीजी के छत्‍तीसगढ़ प्रवास का विवरण सिंहावलोकन पर है.


सोमवार, 2 जनवरी 2012

सुघ्‍घर छत्‍तीसगढि़या


सरगुजिहा बस्तरिहा कहिले, कहिले गा रायगढ़िया।
भारत माता के बेटा अंव, सुघ्घर छत्तीसगढ़िया॥

सत के रद्दा मं रेंगबे बेटा, मोर दाई ह, सिखाय हे।
झूठ लबारी ले दुरिहा रहिबे, किरिया घलो खवाय हे॥
दुरूगहा रइपुरिया कहिले, कहिले कुंवरगढ़िया।
भारत माता के बेटा अंव सुघ्घर छत्तीसगढ़िया॥

पर के सेवा मं आगू रहिथंव, सब ला एके जानेंव। ᅠᅠ
ऊंच नीच के भेद नई जानें, छुवा छुत नई मानेव॥
खाल्हेरजिहा रतनपुरिहा, कहिले सारंगढ़िया।
भारत माता के बेटा अंव, सुघ्घर छत्तीसगढ़िया॥

जुरमिल के सब काम ला करबो, सुमत निसैनी चढ़बो।
खाध मं खाध लां जोरके संगी, नवा विकास ला गढ़बो॥
उपररजिहा रांकारजिहा, कहिले डोंगरगढ़िया।
भारत माता के बेटा अंव, सुघ्घर छत्तीसगढ़िया॥

रविवार, 1 जनवरी 2012

छत्‍तीसगढ़ के भूंईया (गीत)



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